मेरे आंगन में
मेरे आंगन में आज 
एक फूल खिला है
जिसकी पौध कई दिनों से सहमी थी।
साहस खत्म हो रहा था खिलने का
पत्तियाँ भी धीरे-धीरे
छोड़ रही थी उसका साथ।
                      वो सूखी सी... मुरझाई रहती
                      लोगआते-जाते देखते थे उसका हाल।
                      कोई खाद डालने को कहता, कोई पानी
                      नसीहतों के तौर पर,
                       बहुत लोग, बहुत कुछ कह जाते थे।
वो पौध…
चुपचाप सुनता रहता हर बात
सोचता कोई तो पूछ लेता
कोई तो ठहरता मेरे पास,
निहारता मेरी ओर
कि समझ पाए मेरा हाल।
                      एक दिन मेरी नजर पड़ी उस पौध पर
                        उसे सींचा...सहेजा
                       अपने आंगन में लाकर।
अब पल्लवित हो रहीं हैं उसकी कलियां
उन्हें पता है
जीवन तो दो-चार दिनों का है
जिसमें छांव संग धूप भी
फिर भी अब वो खिल जाते हैं
साहस और उमंग से
तेज  चिलचिलाती धूप में भी..।।
आज फिर से फूल खिला है
उस पौध में कई दिनों बाद
उस पौध में कई दिनों बाद।।
            -By Pallavi Mishra 
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