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कब कर पाएंगे( life inspirational poetry written by Pallavi Mishra)

  किताबों का फलसफा तो पढ़ चुके है लोग -2 जिंदगी के आईने में कब उतार पाएंगे?  घर की औरतों में है मां दुर्गा का अं श-2  इस रूप को कब पहचान पाएंगे?  पैसों का कोई सेज नहीं होता-2  यह बात कब जान पाएंगे?  बेटे के लायक होने का गुरुर -2 दहेज को ना करके कब सराह पाएंगे?   हो सकता है मधुर संबंध एक मुस्कुराहट से  पर पहले आप, पहले आप का जुमला  कब तक दोहराएंगे?  सही है यह-2,  जानते हुए भी,  लोग क्या कहेंगे इस बात से  कब तक  घबराएं?  अच्छा छोड़ो यह सब बातें  बस यह बता दो इन बातों पर वाह-वाह  कब कर जाएंगे -2 WRITTEN BY PALLAVI MISHRA  

तुम भूल रहे हो

  तुम भूल रहे हो  तुम भूल रहे हो... पन्नों को पलटते हुए  पढ़ चुके शब्दों की गहराइयों को  जो इस आशा से लिखी गई थी कि  पिरोए गए अक्षरों में घुला हुआ भाव  तुम महसूस कर पाओगे  तुम भूल रहे हो । पन्नों को पलटते हुए  कि पढ़े हुए किताबों से मिली तालीम  महज डिग्री की इमारत बनाने के लिए नहीं  जिसकी नींव कमजोर ईमान पर खड़ी हो  तुम्हें याद रखना होगा  इस प्रतिस्पर्धा के दौर में भी  कि इंसानियत का अहम् हिस्सा हो तुम  तुम्हें सुनना होगा  इस बाहरी शोर में भी  अपने अंतर्मन की आवाज  जो तुम्हारे इंसान से शैतान बनने पर  दर्द से चीख-चीख कर रो रहा है।।

खुद पर यकीन

  खुद पर यकीन का नया सफर शुरू तो कर, हुजूम खुद ब खुद उमड़ आएगा। नाचीज़ समझकर..-2  जिन्होंने छोड़ा था साथ तुम्हारा यकीन उन्हें भी आ जाएगा।। खुद पर यकीन का नया सफर शुरू तो कर, हुजूम खुद उमड़ आएगा। माना की धूप कड़ी है और तपन भी, पर मंज़िल से पहले छांव कहां मिल पाएगा। किस्मत की दुहाई मिली होगी कई बार-2 पर  बिना कर्म के किस्मत कहां बदल पाएगा।। हाथों की लकीरें देख ना घबरा, मिज़ाज जब जीवट हो तो इन लकीरों को भी तू बदल पाएगा।। कांच के आईने से लिया होगा राय कई बार-2, बिन अंतर्मन में झांकें, खुद को संपूर्ण कहां पहचान पाएगा।। खुद पर यकीन.... कागज पर लिखी और मिटाई होगी कई बार-2 आगाज़ जब तक ना हो, कर्मठ तू कहां बन पाएगा।2 खुद पर यकीन.... हुजूम...

Motivational Quote (स्त्री)

      अरी ओ स्त्री, बनना है तो विशाल वृक्ष बन  जो दूसरों को भी छांव देते हैं। बनना है तो नदी बन  जो दूसरों की प्यास बुझाती है। बन जाना जिसमें तू सहज हो पर सहजता की खोज में, कभी लत्तेदार पौधे मत बनना जो दूसरे शाख़ का सहारा ढूंढते रहते हैं।।