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Showing posts with the label EMOTIONAL QUOTE

Emotional poetry(अकेलापन) by Pallavi Mishra

  अकेलापन  लगता है बरसों से कोने में अकेले पड़ी हूं यह नीरस हृदय का खालीपन गुमसुम सी दीवार और मेरा चीखता मन गूंजता है कानों में।।              कभी मोबाइल, कभी खिड़कियों पर               कभी बालकनी में               राहों पर टकटकी लगाए              सुबह से शाम हो जाती है।             जहां किसी के लौटने का इंतजार नहीं             किसी को मुझ तक पहुंचने की जल्दबाजी नहीं। घड़ी की टिक-टिक की आवाज और सजे-धजे कमरे जहां सिलवट पड़ते ही नहीं। नींद कोसों दूर है यह सूनापन,अकेलापन इतनी व्यस्त दुनिया में जहां मेरे खालीपन की कोई जगह नहीं।। By Pallavi Mishra 

लोग भूल जाते है( emotional poetry writtenbyPallaviMishra))

  लोग भूल जाते हैं लोग भूल जाते हैं-२ उन चेहरों को जो संघर्ष के दौर में उनके हाथों को थामे   चलते थे लोग भूल जाते हैं।           जीवन के तूफानों में           दीया जलाकर उन्हें राह दिखाते थे          लोग भूल जाते हैं। जब हम रोये, पोंछा है आंसू और सुलाया अपनी गोद में लोग भूल जाते हैं।            दे देते हैं उन्हें ऐसा जख्म़           कि   उनकी बूढ़ी आंखों में           रातों की नींद नहीं होती और जागते रह जाते हैं आंसुओं के सैलाबों के संग लोग भूल जाते हैं...।। By Pallavi Mishra   

कब कर पाएंगे( life inspirational poetry written by Pallavi Mishra)

  किताबों का फलसफा तो पढ़ चुके है लोग -2 जिंदगी के आईने में कब उतार पाएंगे?  घर की औरतों में है मां दुर्गा का अं श-2  इस रूप को कब पहचान पाएंगे?  पैसों का कोई सेज नहीं होता-2  यह बात कब जान पाएंगे?  बेटे के लायक होने का गुरुर -2 दहेज को ना करके कब सराह पाएंगे?   हो सकता है मधुर संबंध एक मुस्कुराहट से  पर पहले आप, पहले आप का जुमला  कब तक दोहराएंगे?  सही है यह-2,  जानते हुए भी,  लोग क्या कहेंगे इस बात से  कब तक  घबराएं?  अच्छा छोड़ो यह सब बातें  बस यह बता दो इन बातों पर वाह-वाह  कब कर जाएंगे -2 WRITTEN BY PALLAVI MISHRA  

मेरे आंगन में( poetry on life written by Pallavi Mishra)

 मेरे आंगन  में मेरे आंगन में आज  एक फूल खिला है जिसकी पौध कई दिनों से सहमी थी। साहस खत्म हो रहा था खिलने का पत्तियाँ भी धीरे-धीरे छोड़ रही थी उसका साथ।                       वो सूखी सी... मुरझाई रहती                       लोगआते-जाते देखते थे उसका हाल।                       कोई खाद डालने को कहता, कोई पानी                      ‌ नसीहतों के तौर पर,                        बहुत लोग, बहुत कुछ कह जाते थे। वो पौध… चुपचाप सुनता रहता हर बात सोचता कोई तो पूछ लेता मेरे सूखने की वजह           कोई तो ठहरता मेरे पास, निहारता मेरी ओर कि समझ पाए मेरा हाल।                       एक दिन मेरी नजर पड़ी उस पौध पर       ...

पंछियों को देखा था...poetry on life

  पंछियों को देखा था  पंछियों को देखा था... तिनका-तिनका ढूंढते हुए, बटोरते हुए घोंसले बनाते हुए ,सजाते हुए  पंछियों को देखा था...  खुद के जिगर के टुकड़ों को  बेरहमों की नजर से बचाते हुए  पंछियों को देखा था, डर की जिंदगी गुजारते हुए...  कि तोड़ ना दे कोई भी,  कहीं भी जिंदगी के डोर और आज ठीक वैसे ही देख रही इंसानों को, कि डर है कब, कौन,क्यों, कैसे तोड़ दे  इनके तिनके के आशियाने को  कहीं बिखर ना जाएं सहेजें हुए सपने जो बने हैं कई बरसों में ।-2

गुमनामियां

  गुमनामियां भी कई बार सुकून देती है...

मन (Quote)

   जीवन की चिलचिलाती धूप में, कोमल मन मुरझा सा गया है मुरझाया भी तो ऐसा कि ठंडे-ठंडे बयार की छुअन से भी,निष्क्रिय है। कुछ पल के लिए संवेदना भी हो तो, अगले ही पल में सूखे पत्तों की तरह संवेदनाएं बिखरने लगती हैं...।।

ghutan

  खिड़कियां सारी खुली तो हैं फिर भी ना जाने क्यूं घुटन सी हो रही।।

dard

  हर आंखें दर्द की कहानी नहीं छलकाता हर होंठ दर्द की कहानी नहीं गाता कुछ किस्से कभी पुराने नहीं हो पाते पर हर बेजुबान कुछ कह पाता है बस हर कोई इसे समझ नहीं पाता।।