खुद पर यकीन का नया सफर शुरू तो कर,
हुजूम खुद ब खुद उमड़ आएगा।
नाचीज़ समझकर..-2
जिन्होंने छोड़ा था साथ तुम्हारा
यकीन उन्हें भी आ जाएगा।।
खुद पर यकीन का नया सफर शुरू तो कर,
हुजूम खुद उमड़ आएगा।
माना की धूप कड़ी है और तपन भी,
पर मंज़िल से पहले छांव कहां मिल पाएगा।
किस्मत की दुहाई मिली होगी कई बार-2
पर बिना कर्म के किस्मत कहां बदल पाएगा।।
हाथों की लकीरें देख ना घबरा,
मिज़ाज जब जीवट हो
तो इन लकीरों को भी तू बदल पाएगा।।
कांच के आईने से लिया होगा राय कई बार-2,
बिन अंतर्मन में झांकें, खुद को संपूर्ण कहां पहचान पाएगा।।
खुद पर यकीन....
कागज पर लिखी और मिटाई होगी कई बार-2
आगाज़ जब तक ना हो,
कर्मठ तू कहां बन पाएगा।2
खुद पर यकीन....
हुजूम...
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