यूं कभी पंछियों सा उड़ते हो
चांद में आशियाना ढूंढ लेते हो
ख्वाबों की गलियों में गुम हो कहां-2
लौटना है अब ना कोई ख़बर है।
ज़रा नज़र तो फरमाइए
क्या है हाल-ए-दिल हमें भी गुफ्तगू कराईए
हम भी चलेंगे साथ ख्वाबों के मेले में
क्या करोगे तुम अकेले में
ग़र ना चल पाए तो दुआ तेरे साथ है
क्या करें...
ये तो इत्तेफ़ाक़ की बात है।-2
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