वो भूल जाते हैं...
वो भूल जाते हैं अक्सर
पुकारना नाम से अपने बच्चों को।
चश्मा लगा भी हो तो
ढूंढ आते हैं चारों ओर
वो भूल जाते हैं अक्सर।
याद ही नहीं रहता...
कहां बैठे हैं कब से !
लोग तो बस कह दिया करते हैं
सठिया गए हैं क्या ?
कुछ याद ही नहीं रहता आपको।
एकटक देखते ही रह जाते हैं वो
कैसे समझाएं अपने मनोभावों को!!
कि कोई तो समझे जानबूझ कर नहीं होती उनसे गलतियां,
उन्हें तो गर्म चाय के गिरने का भी एहसास नहीं
उनका रोना, चिल्लाना, कभी सुन्न पड़ जाना
बोलते बोलते रुक जाना
जुबान का लड़खड़ाना..
कोई पागलपन नहीं बस एक मानसिक विकार है।
ठहरो जरा उनके पास
और बात करो।
उन्हें नसीहत की नहीं
ख्याल रखने वालों की जरूरत है।
कोई मां-बाप अपने बच्चों के नाम
तो नहीं भूलना चाहते!!
आखिर क्या बात है?
जो वो खुद को नहीं पहचानते।
डिमेंशिया( मनोभ्रंश) के लक्षणों को पहचाने
मदद का उन तक हाथ बढ़ाएं।।
Comments
Post a Comment